वर्षों से भारतीयों के रुके हुए फैसलों की कहानी; अभी भी 5 करोड़ केस पेंडिंग, क्या है वजह?

केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने शुक्रवार को लोकसभा में बताया कि सुप्रीम कोर्ट समेत देश के 25 हाई कोर्ट और निचली अदालतों में 5.02 करोड़ मामले लंबित हैं।

लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने कहा कि देश के उच्च न्यायालयों में 24 जुलाई तक तीस साल से अधिक समय से 71 हजार 204 मामले लंबित हैं. साथ ही जिला एवं निचली अदालतों में एक लाख एक हजार 837 मामले लंबित हैं. मंत्री मेघवाल ने 20 जुलाई को संसद के उच्च सदन में कहा था कि देश की विभिन्न अदालतों में लंबित मामले पांच करोड़ का आंकड़ा पार कर गये हैं. भारत के सुप्रीम कोर्ट के इंटीग्रेटेड केस मैनेजमेंट सिस्टम (ICMIS) से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक, 1 जुलाई तक सुप्रीम कोर्ट में 69,766 मामले लंबित हैं।

राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (एनजेडीजी) पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, 14 जुलाई तक उच्च न्यायालयों, जिला और निचली अदालतों में लंबित मामलों की कुल संख्या क्रमशः 60 लाख 62 हजार 953 और 4 करोड़ 41 लाख 35 हजार 357 है। ,” उन्होंने कहा।

…लंबित मामलों के कारण

– सभी न्यायालयों में न्यायाधीशों के पद रिक्त

– बुनियादी भौतिक सुविधाओं की अनुपलब्धता

– कोर्ट स्टाफ से सहयोग की कमी

– मामले के तथ्यों में जटिलता

– अभियोगात्मक साक्ष्य का अभाव

– बार काउंसिल, जांच संस्थानों, गवाहों, याचिकाकर्ताओं की भागीदारी

-न्यायिक प्रक्रियाओं का समुचित उपयोग न होना

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